यूपीएससी की तैयारी कर रहे इंजीनियर बेटे को पिता ने गांव वापस बुलाया, कहा-अब पानी भरो
बड़वानी। सपने को साकार करने में कभी पैसा और कभी प्रेरणा रोड़ा बनते हैं, लेकिन बड़वानी जिले के मंसाराम को अफसर बनने के सपने में गांव का जल संकट रोड़ा बन गया। आईपीएस बनने का सपना लिए ग्वालियर पहुंचे युवक को भीषण जल संकट से निपटने के लिए शहर छोड़ना पड़ गया। ग्वालियर में यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवक को उसके पिता ने गांव बुला लिया ताकि संकट से निपटने में मदद मिल सके, जिससे युवक के सपने पर ग्रहण सा लग गया है।
बड़वानी जिले के आदिवासी ग्राम खेरवानी निवासी मंसाराम एक इंजीनियर है। उसका सपना है कि एक दिन वह आईपीएस अफसर बने और अपने गांव और परिवार नाम रोशन करे। इसके लिए वह ग्वालियर में रहकर तैयारी कर रहा था, लेकिन उसके सपनों के बीच में गांव का भीषण जल संकट आकर खड़ा हो गया है। इससे युवक को ग्वालियर छोड़कर बड़वानी लौटना पड़ा है।
खरेवानी के 25 युवकों की शादी पानी ने रोकी
पानी की समस्या से सिर्फ मंसाराम ही नहीं, जिनके सपने टूट रहे हैं, ऐसे सैंकड़ों युवा हैं, जिनके सपनों पर पानी की भीषण समस्या अपना नहीं हो रहा है। पानी की समस्या इतनी भयावह है कि गांव में लगभग 25 लड़के कुंवारे रह गए हैं, जिनके घरों में लोगों ने अपनी बेटी की शादी करने से मना कर दिया।
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बेटी की शादी में बारातियों की प्यास बुझाने पिता उतरा कुएं में
अशोकनगर जिले के कोलूआ ग्राम के रहने वाले पुन्ना आदिवासी की बेटी संगीता का 21 अप्रैल को विवाह संपन्न हुआ। ऐसे में ग्राम में बारातियों के स्वागत की तैयारी की जा रही थी, लेकिन बस्ती में पानी की किल्लत चल रही थी। साथ ही निजी कुंआ भी सूख जाने की वजह से समस्या और ज्यादा बढ़ गई। पानी की समस्या दूर करने के लिए उन्होंने अपने जीजा के साथ मिलकर लगभग ३० फीट गहरे कुएं में उतर कर उसकी सफाई की।
फिर गांव से कुछ दूरी पर एक किसान के निजी कुआं से पाइप के माध्यम से उसमें पानी भरा। लड़की संगीता ने बताया कि उनके गांव में पानी की किल्लत है। एक सरकारी बोर भी है।, लेकिन वहां भी पानी भरने के लिए जाना पड़ता है। दुख इस बात का है कि वह भी कई बार खराब भी हो जाता है। ऐसे में भीषण गर्मी में कई बार उन्हें पानी भरने से रोका भी जाता है। ऐसे में जब उसकी शादी हो रही है। उनके पिता ने अपने सूखे कुएं की सफाई करके उसमें दूर से पाइपलाइन से पानी लाकर उसे भरा है।
अब चार किमी दूर पोखर से ढोकर ला रहे पानी
दरअसल, भीषण गर्मी के समय आदिवासी गांव खेरवानी में जल स्रोत सुख गए हैं। ग्रामवासियों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में मंसाराम ने आईपीएस बनने के सपने को अधूरा छोड़कर गांव लौट आए। अब उन्हें गांव के जल संकट से जूझना पड़ रहा है। मंशाराम को भीषण जल संकट से निपटने के लिए रोज सुबह घर से 4 किमी दूर एक पोखर पर जाना पड़ता है। गौरतलब है इंजीनियर मंसाराम ने ग्राम खेरवानी में मौजूदा पानी की समस्या को लेकर कई बार ग्राम पंचायत सेमलेट में अर्जी लगाई और विधायक और सांसद से भी मामला में हस्तक्षेप की गुजारिश की और पीएचई विभाग का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन मदद नहीं मिली। ऐसे में ग्रामवासियों को जरूरत का पानी दूर से गधों पर ढोकर लाना पड़ता हैं।
फलिया में न हैंडपंप है और न ही कुआं
ग्रामीणों का कहना है कि उनके फलिया में न हैंडपंप है और न ही कुआं, इसलिए उन्हें पीने का पानी दूर से लाना पड़ता है, जिसमें घर के बच्चों से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग को भी जूझना पड़ता हैं, लेकिन पानी की समस्या के समाधान की जगह अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिलता आया है।
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